विस्तार
सुकेश चंद्रशेखर ने जेल अधिकारियों की ओर से दी गई सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अदालत ने सुकेश की याचिका पर जेल प्रशासन को नोटिस जारी किया है। जेल प्रशासन ने सुकेश को 1-15 मई तक परिवार के सदस्यों के साथ मुलाकात, फोन कॉल और कैंटीन सुविधाओं का उपयोग करने से रोक लगाने संबंधी आदेश जारी किया है। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने जेल प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए याचिका पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।
अतिरिक्त स्थायी वकील नंदिता राव ने इस नोटिस को स्वीकार कर लिया। सुकेश के वकील अनंत मलिक ने तर्क दिया कि सुनवाई के बिना सुकेश को सजा के दो टिकट जारी कर दिए गए। यह गंभीर मुद्दा है, क्योंकि याचिकाकर्ता की मां और पूरा परिवार बेंगलुरु में रहता है।
यह जरूरी है कि इस तरह की पाबंदी पर रोक लगाई जाए। अतिरिक्त स्थायी वकील (एएसडी) नंदिता राव ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि मामले में कोई अत्यावश्यकता नहीं है। याचिकाकर्ता ने अदालत से प्रार्थना की है कि वह जेल उपाधीक्षक कारागार, मंडोली के कार्यालय की ओर से 17 अप्रैल को पारित आदेश को रद्द कर, इसके निष्पादन पर रोक लगाई जाए।
याचिकाकर्ता को 15 दिनों के लिए कैंटीन, मुलाकात और फोन कॉल करने सहित सुविधाओं से वंचित करने के दो टिकट दिए गए हैं। याचिका में यह भी कहा है कि जेल अधीक्षक इस तथ्य से बहुत अच्छी तरह वाकिफ थे कि ये सुविधाएं केवल माध्यम हैं। इसके जरिये याचिकाकर्ता अपनी बूढ़ी मां के साथ संवाद करने में सक्षम है जो फिलहाल बेंगलुरु में हैं। अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अपने बेटे से मुलाकात के लिए यात्रा नहीं कर सकती है।
केवल फोन कॉलिंग सुविधाओं के माध्यम से ही याचिकाकर्ता के उसके संपर्क में रहने में जरिया था। उसे सुने बगैर खासकर जब याचिकाकर्ता कई राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में एक विचाराधीन कैदी और उसे रोज जान से मारने की धमकी मिल रही है।