Mantantra24

Hapur News: माटी का नहीं मिल रहा मोल… मिट्टी के बर्तन बनाने से मुंह मोड़ रहे कुम्हार, जानें वजह


अभिषेक माथुर/हापुड़. मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार अब इस काम से मुंह मोड़ रहे हैं. शहर के अतरपुरा क्षेत्र में रहने वाले कुम्हार बाबूराम उर्फ बल्लू का कहना है कि वह 12 साल की उम्र से मिट्टी के बर्तन बनाते आ रहे हैं और आज उनकी 55 वर्ष की उम्र हो गई. हालांकि अब उनका मिट्टी के बर्तन बनाने से मोह भंग हो रहा है. वहीं, आज वह जो भी मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं, उससे उनका मुनाफा होना तो दूर लागत तक नहीं मिल रही है. जबकि उनके बच्चों ने इस कला को नहीं सीखा है.

बाबूराम उर्फ बल्लू बताते हैं कि मिट्टी के उत्पाद बनाना काफी मेहनत का काम है. इसका बाजार भी काफी कम हो गया है. मिट्टी खरीद कर लानी पड़ती है. फिर बारीकी से साफ कर गोदा जाता है. चाक पर बड़ी मेहनत से मिट्टी के बर्तन गढ़ते हैं. इसके बाद उन्हें लकड़ी से आग पर पकाया जाता है. इसके बाद उनका रंग रोगन कर आकर्षक बनाया जाता है.

बाजार में नहीं मिल रही मेहनत और हुनर की कीमत
मिट्टी के बर्तन बना रहे बाबूराम उर्फ बल्लू का कहना है कि इतनी मेहनत करने के बावजूद भी मिट्टी के बर्तन बेचने के लिए बाजार तलाशना पड़ता है. फिर भी मेहनत और हुनर की कीमत नहीं मिल पाती है. यही वजह है कि नई पीढ़ी अब इसमें रूचि नहीं ले रही है. धीरे-धीरे कुम्हारों का मोह भंग होता जा रहा है.

…तो इसलिए नहीं काम करना चाहती नई पीढ़ी!
बाबूराम की पत्नी रामवीरी बताती हैं कि पहले जहां मिट्टी मुफ्त में मिलती थी. वहीं, अब इसके लिए काफी पैसे देने पड़ते हैं. इसी कारण से नई पीढ़ी इस काम करना नहीं चाह रही है. काफी मेहनत के बावजूद रोजी-रोटी चलाना मुश्किल हो रहा है.

Tags: Hapur News, Uttar pradesh news

Source link

mantantra24
Author: mantantra24

Spread the love

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज