छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार एक और जहां शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता सुधारने को लेकर प्रयासरत है तो वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षक राज्य सरकार के मंसूबों पर पानी फेरते हुए दिखाई दे जाते हैं और सबसे बड़ी बात यह है की लगातार एक ही तरह की घटना की पुनरावृति करने के बाद भी शीर्ष पर बैठे हुए खंड शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा ऐसे शिक्षकों पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जो कि शिक्षा जगत को बदनाम कर रहे हैं और कहीं ना कहीं छत्तीसगढ़ के होनहार नौनिहाल बच्चों का भविष्य भी बर्बाद कर रहे हैं। चलिए एक ऐसे स्कूल की कहानी बताते हैं जो स्कूल पिछले 18 दिनों से बंद है,ताला लटका हुआ है।
कोरबा जिले के पौड़ी उपरोड़ा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक स्कूल पाल दुरैना में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर एक शिक्षक पहले से ही निलंबित है तो दूसरे शिक्षक के द्वारा दिनांक 16.12.2024 से दिनांक 02.01.2025 तक स्कूल ही नहीं खोला गया। जब ग्रामीणों के द्वारा इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों को की गई तो उन्होंने खाना पूर्ति करते हुए जांच टीम भेज दी और कार्यवाही के नाम पर सुन बटे सन्नाटा छाया हुआ दिखाई देता रहा। अब समझिए जिस स्कूल में शिक्षक इस तरह की गंभीरता से शिक्षा देने का काम करेंगे वहां के बच्चों का भविष्य कैसा होगा??
जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं है कोई जानकारी…
जब इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी तामेश्वर उपाध्याय से बात की गई तो उन्होंने इस पूरे मामले पर जानकारी नहीं होना बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया। अब समझ जाइए की जिस जिले के ब्लॉक में इतनी बड़ी घटना हो जाए,जहां पिछले 18 दिनों से स्कूल ही ना खोला गया हो, जिसकी शिकायत भी ग्रामीणों के द्वारा उच्च अधिकारियों को दी गई हो और जहां जांच टीम भी आकर चली भी जाए और जिला शिक्षा अधिकारी को कोई खबर ना हो तो इसमें अधिकारों की संलिप्त: आप खुद ही समझ सकते हैं कि वह क्या जांच करेंगे कैसी जांच करेंगे और कितने में जांच करेंगे!!
पहले भी हो चुका इस तरह का कारनामा लेकिन जांच करने के बाद नहीं हुई ठोस कार्यवाही
इस पूरे मामले पर जब मन तंत्र की टीम ने पूरे साक्ष्यों को खंगाला तो पता चला की उक्त शिक्षक के द्वारा 21 अगस्त 2024 से 31 अगस्त 2024 तक अनुपस्थित पाए गए इसके पश्चात् 3 सितंबर 2024 से 17 सितंबर 2024 तक भी शिक्षक अनुपस्थित थे और उस समय भी स्कूल बंद था,जिसकी भी जांच कि गई और उक्त शिक्षक पर कोई ठोस कार्यवाही न करते हुए मामले को रफा दफा कर दिया गया जबकि आप समझ सकते हैं कि स्कूल बंद होने की स्थिति में उक्त शिक्षक पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए थी।
जांच के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति करते हैं अधिकारी….
उक्त शिक्षक के द्वारा लगातार शिक्षा के कार्य में घोर लापरवाही का मामला आने के बाद,लगातार स्कूलों में ताला लटकाए रखने के बाद भी संबंधित अधिकारियों के पास शिकायत जाती रही और ऐसे अधिकारी कान में रूई डाले मामले को रफा दफा करते हुए दिखाई देते रहेl अब देखना यह होगा की इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद भी इस बार अधिकारी कार्यवाही करते हैं या फिर पिछली बार की तरह ही मामले को रफा दफा करते हैं।